भारत भाग VI : बचपन और पहाड़
नैनीताल की रूमानी शाम और मेरे दरमियाँ , इक कर्कश आवाज़ ने दस्तक दी,
भैय्या एक गुब्बारा ले लो ।
मैने कहा " क्या करूँगा ? मेरा बचपन बीत गया "
डूड भारत ! ने अशांत नज़रों से ,
शांत आवाज में कहा
" मेरे बचपन की खातिर आप खेल लो "
एक अंतर्द्वंद ने दस्तक दी ,
मेरा बचपन ख़ुशहाल गुजरा
पहाड़ में , बचपन उसके लिए
पहाड़ हैं , जो बीतेगा
नैनीताल की मॉलरोड पर
बचपन के खिलौनो के साथ
खेलने के लिए नही
पहाड़! को तोड़ने के लिए ....
दीपक कुमार जोशी
deeps2200.blogspot.in
नैनीताल की रूमानी शाम और मेरे दरमियाँ , इक कर्कश आवाज़ ने दस्तक दी,
भैय्या एक गुब्बारा ले लो ।
मैने कहा " क्या करूँगा ? मेरा बचपन बीत गया "
डूड भारत ! ने अशांत नज़रों से ,
शांत आवाज में कहा
" मेरे बचपन की खातिर आप खेल लो "
एक अंतर्द्वंद ने दस्तक दी ,
मेरा बचपन ख़ुशहाल गुजरा
पहाड़ में , बचपन उसके लिए
पहाड़ हैं , जो बीतेगा
नैनीताल की मॉलरोड पर
बचपन के खिलौनो के साथ
खेलने के लिए नही
पहाड़! को तोड़ने के लिए ....
दीपक कुमार जोशी
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