Sunday 14 June 2020

Meaning of Life : Suicide or Life

       The Myth of Sisyphus  फ्रेंच दार्शनिक Albert Camu द्वारा लिखित मेरी प्रिय पुस्तक में से एक है l आज यह किताब  बहुत दिनों बाद मैं फिर पड़ने लगा,  किन्तु गोद में रखकर कुछ खयालो में खो गया कि आखिर सुशांत सिंह राजपूत के मन में क्या खयाल आया होगा कि उसने जीवन की बजाय अन्य विकल्प को चुन लिया l सुशांत को मैंने एक अच्छे अभिनेता की बजाय एक सार्थक  जीवन जीने वाले व्यक्ति के रूप में पसंद किया है  l सुशांत  astronomical telescope से ब्रह्मांड को टकटकी से देखते,  रोज एक अच्छी पुस्तक का अध्यन करते ,  साथ ही उनके लिविंग रूम की दिवार पर  फ्रेंच दार्शनिक डेकार्टे के दर्शन की सुन्दर पंक्ति Cogito Ergo Sum को देखकर मैंने धारणा बनाई की यह व्यक्ति जिंदगी को  सार्थकता (मीनिंग ) से जीना
जानता है l आज की खबर ने मेरी इस धारणा को धूमिल तो नहीं किया ,  किंतु एक मूलभूत सवाल अवश्य खड़ा हो गया है कि आखिर जीवन का अर्थ (meaning ) क्या है l इस प्रश्न के सटीक उत्तर को मैंने कुछ हद तक कमू की किताब The Myth Of Sisyphus में पाया l पुस्तक में कमू जिंदगी के वास्तविक अर्थ (मीनिंग ) तथा इस प्रश्न का उत्तर देते है : क्या जीवन जीने  की  सार्थकता है या नहीं?

        कमू ने माना की जीवन का कोई अर्थ नहीं है अर्थात जीवन निरर्थक (Absurdity ) है l यह जगत निरर्थक है,  आपको स्वयं ही अपने जीवन को  एक अर्थ देना होगा l अतः पुस्तक में लेखक ने स्वयं प्रश्न किया  कि यदि जीवन निरर्थक है तो फिर भी हमें क्यों जीना चाहिए?  इस दुविधा के कामू ने तीन विकल्प दिये l पहले विकल्प के तौर पर आत्महत्या को कामू ने उचित नहीं माना,  हालांकि आत्महत्या व्यक्ति तब करता है जब उसको लगता है की उसके  जीने की  कोई वजह नहीं है  l दूसरे विकल्प को कमू ने दार्शनिक आत्महत्या (philosophical suicide ) कहा है जिसका शिकार हम सभी लोग है l हम जीवन के मूलभूत प्रश्नो के अल्पज्ञ (Superficial ) प्रश्न को मान लेते है तथा दार्शनिक आत्महत्या का शिकार बनते है l ऐसे अल्पज्ञ उत्तर  धर्म, परंपरा,  संस्कृति,  समाज आदि बनाते है और हमारी बुद्धि को कुंद कर देते है l यही कारण है कि  आज भी हम जीवन के मूलभूत प्रश्नों जैसे मृत्यु,  जीवन,  अस्तित्व,  ईश्वर,  प्रेम, मानवता के अल्पज्ञ उत्तर को मान रहे है तथा धर्म,  जाती,  युद्ध, अप्रेम, घृणा में उलझें हुऐ हैं l

        कमू का तीसरा विकल्प बहुत क्रन्तिकारी हैं जिसमें कमू प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की तुलना ग्रीक के सिसीफस (Sisyphus ) की सजा से करते हैं l सिसिफस  को सजा मिलती हैं की पूरी जिन्दंगी  पहाड़ी के ढलान पर एक बड़े पत्थर को ऊप्पर धकेलना हैं,  किंतु जब पत्थर चोटी तक पहुँचता हैं तो लुढ़ककर फिर नीचे आ जाता हैं,  यह सिलसिला उम्र भर चलता रहता है l हमारी जिंदगी भी उसी पहाड़ी और पत्थर की तरह जिसमें हम  अथाह उम्र   सिसिफस का किरदार अदा करते है l

        हमें ज़िन्दगी के हर उतार चढ़ाव को समझने की कोशिश करते हुऐ जीवन को एक सार्थक  लक्ष्य देना होगा l हर कठिनाई,  असफलता,  चुनौती को स्वीकार करो और अपने जीवन को खुशहाल बनायें l हमेशा जीवन की चुनौती में दोनों विकल्पों को लात मारें और तीसरे विकल्प को चुनकर  सिसिफस बनें l जीवन का कोई निर्धारित लक्ष्य और अर्थ नहीं है जिसमें सफलता और असफलता की भी कोई मैराथन नहीं है l हमेशा स्वयं  को सिसिफस की तरह ख़ुश रखें और जीवन को अपने अनुसार एक नया आयाम दें l



दीपक कुमार जोशी DEEPS 

3 comments:

  1. धन्यवाद गुरुदेव 🙏🙏🙏

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  2. This seem to a good narratio n of Kamu book and the way of narration is pity good but it seems that your though about life is hijacked by Mr Kamu.
    I still not sure what are massages wanted to give Mr Kamu through his book because I have not gone through the book which u mentioned in your .....
    But u have strong hold of Hindi writing.
    Well done keep writing and posting.
    God bess u.
    Generally I don't comment but I did today.

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