Saturday, 14 October 2017

भारत भाग VI : बचपन और पहाड़


नैनीताल की रूमानी शाम और मेरे दरमियाँ , इक  कर्कश आवाज़ ने दस्तक दी,

भैय्या एक गुब्बारा ले लो ।
मैने कहा " क्या करूँगा ? मेरा बचपन बीत गया "

डूड भारत ! ने अशांत नज़रों से ,
शांत आवाज में कहा
" मेरे बचपन की खातिर आप खेल लो "


एक अंतर्द्वंद ने दस्तक दी ,
मेरा बचपन ख़ुशहाल गुजरा
पहाड़ में ,  बचपन उसके लिए
पहाड़ हैं , जो बीतेगा
नैनीताल की मॉलरोड पर
बचपन के खिलौनो के साथ
खेलने के लिए नही
पहाड़! को तोड़ने के लिए ....

दीपक कुमार जोशी
deeps2200.blogspot.in

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