Monday, 25 June 2018

दरार 

गाँव  की  बड़ी सी  
वीरान    हवेली में, 
अब कोई नहीं रहता।
बच्चे  अक्सर खेलते 
रहते हैं वहाँ  , कभी नाम 
अपना लिख आते हैं 
शीशों में जमी धूल पर ।

आज इक तूफ़ां में वहां ,
 हँसते-मुस्कराते परिवार का
फोटो फ्रेम ,जमी पर गिर पड़ा ।
शीशा हैंं पास-पास 1 
बिखर गया है दूर- दूर 
इस कदर , मानो टूटे रिशते हो ।

बहुत देर से आया है
तूफ़ां शायद ,
एक अरसा गुजर गया
रिश्तों में पड़ी दरारों को ।

काश एक नया फ्रेम
लगा दे कोई ,
रिस्तो में पड़ी दरारों पर भी ।।


© दीपक कुमार जोशी 
deeps2200.blogspot.in

1 पास - पास :- चूर - चूर हो जाना ( Disintegrate)

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