Friday, 28 October 2016

इज़ा फसक , पहाड़ कसक 
                            भाग 2 -ऐपण

इज़ा दीवाली आ गे ,
लाल माट कॉ होल ,
भितर लिप दिनू ,
ऐपण लिख दिनू ।

परुली! अफ़ी बज़्ज़ी रुँ ,
ऐपणे है रान ........
दूनी संसार में कस
फैशन चल रो ।

सीमेंट कूड़ में ,
प्लास्टिक वाल ऐपण
चिपका दी ,
बज़ार बे लक्ष्मी का
द्वि खूट् खरीद लाये ।

टैम् है जालो ,
पेंट वाल ऐपण
लिख दे ,
पाथर कूड़ में ;
हाथ लै ऐपण
खित दी; बस
शकुन जस है जालो।

यो हमर पुर्ख ना ,
चलाई रिवाज़ भे परुली ।।
फैशन अपण जाग ,
रिवाज़ अपण जाग ।।

                         दीपक कुमार जोशी   दीप्स
                         कॉपीराइट@2016
                       

No comments:

Post a Comment

Deeps Venteruption

The Parable of an Elephant : Who is Responsible for a Disaster?

               In the context of the recent Dharali, Uttarkashi disaster , a renewed debate has begun over the causes and responsibility for...