दरार
गाँव की बड़ी सी
वीरान हवेली में,
अब कोई नहीं रहता।
बच्चे अक्सर खेलते
रहते हैं वहाँ , कभी नाम
अपना लिख आते हैं
शीशों में जमी धूल पर ।
आज इक तूफ़ां में वहां ,
हँसते-मुस्कराते परिवार का
फोटो फ्रेम ,जमी पर गिर पड़ा ।
फोटो फ्रेम ,जमी पर गिर पड़ा ।
शीशा हैंं पास-पास 1
बिखर गया है दूर- दूर
इस कदर , मानो टूटे रिशते हो ।
बहुत देर से आया है
तूफ़ां शायद ,
एक अरसा गुजर गया
रिश्तों में पड़ी दरारों को ।
काश एक नया फ्रेम
लगा दे कोई ,
रिस्तो में पड़ी दरारों पर भी ।।
© दीपक कुमार जोशी
deeps2200.blogspot.in
1 पास - पास :- चूर - चूर हो जाना ( Disintegrate)
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