साहिल पे फ़क़त
इक घर की तमन्ना ही तो थी ;
पता नहीं कब शहर हो गया ,
अब ख़फ़ा ! हो कि
दरिया शहर में है ।।
दीपक कुमार जोशी
deeps2200.blogspot.in
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